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Sunday, 29 January 2017

पुरुषार्थ से स्वर्ग प्राप्ति


एक बार की बात है एक साधु नदी के किनारे बैठ कर माला जप रहा था । ऐसा करते देख साधु को एक दूसरा व्यक्ति काफी देर से देख रहा था । काफी समय होने के बाद जब उस से रहा ना गया तो वह साधु के पास पंहुचा और उनसे बोला, 'आप इतनी देर से क्या करे रहे है ?' साधु बोला, 'देखते नहीं ? में कठिन जप कर रहा हूं ।' उस व्यक्ति ने साधु से पूछा 'आपके इस जप से क्या होगा ?' साधु थोड़ा मुस्कुराते हुए बोले, ' इससे स्वर्ग की प्राप्ति होगी, यही कारण है की में इतनी देर से यहाँ कठिन जप कर रहा हूँ |' यह सुन वह व्यक्ति वही साधु के पास बैठ गया और पास में जमीन पर पड़ी बालू उठा-उठा कर नदी में फेकने लगा । जब साधु ने उसे ऐसा करते देखा तो पूछा, 'तुम यह क्या कर रहे हो ?' वह व्यक्ति बोला, 'में नदी पुल बना रहा हूँ |' साधु बोला - 'वत्स, पुल इस तरह नहीं बना करते । उसके लिए इंजीनियर, श्रमिक, सामान और जरुरी धन जुटाना पड़ता है । उनके समन्वित प्रयासों से पुल तैयार होते है । महज बालू डालने से पुल नहीं बनने वाला ।' साधु की यह बात सुन कर वह व्यक्ति तुरंत पलट कर बोला, 'हे साधु यही तो में कहना चाहता हूँ की सिर्फ मंत्र बोलने या माला जपने से स्वर्ग नहीं मिल सकता । इसके लिए संयम, ज्ञान, पुरुषार्थ जैसे पुण्य भी तो करने होंगे ।' एक आम आदमी से ऐसी महत्वपुर्ण बात सुनकर साधु की आँखे खुल गई । उसने अपनी भूल स्वीकार की और फिर कर्मयोगी बन गया ।

जीवन मंत्र - अपने कर्मो को पूरी ज़िम्मेदारी से करना ही सच्चा जप है |


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