एक बार की बात है, कॉलेज में एक साथ पढ़ी रिया और सोनम अपने बच्चों के दीक्षांत समारोह पर एक दूसरे से काफी सालों बाद मिली तो दंग रह गई । रिया की हैरानी की वजह यह नहीं थी की सोनम के बेटे ने इतनी बड़ी यूनिवर्सिटी में टॉप किया था, उसे हैरानी तो इस बात की थी की इतने धनी माँ बाप का बेटा होने के बावजूद वह लड़का इतना संघर्षशील कैसे हो गया ? अपने इस दोस्त के बारे में रिया को उसके बेटे ने कई बार बताया था । रिया के बेटे ने उसे बताया था की उसका दोस्त एक काफी संपन्न परिवार से है, लेकिन कभी उसने अपने माँ बाप के रसूख के दम पर फायदा नहीं लिया । वह एक साल ड्रॉप भी कर चूका था, क्योकि वह अपने दम पर एडमिशन लेना चाहता था | रिया ने ये बातें सोनम से थोड़ी हैरानी के साथ पूछी । तब सोनम बोली - हकीकत में हमारी सम्पति हमारे बेटे को सुविधा देने के लिए ही है, लेकिन यदि हर वक़्त यह सम्पति उसे सुरक्षा या अनुचित लाभ देगी तो यह कभी अपना संघर्ष नहीं कर पायेगा । हम अपने बच्चे की नींव मजबूत करना चाहते हैं इसलिए हम उसके हिस्से का संघर्ष उससे नहीं छीनते है । आज रिया को संघर्ष शब्द का वास्तविक अर्थ समझ गया था ।
जीवन मंत्र - संघर्ष से अर्जित वस्तु का मोल अनमोल है और उससे मिला ज्ञान आपसे कोई नहीं छीन सकता |
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