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Monday, 30 January 2017

ईमानदारी का इनाम


एक बार की बात है, एक राजा के घर कोई संतान नहीं थी । वह अपने उत्तराधिकारी का पद किसी योग्य युवक को ही देना चाहता था । इसलिए राजा ने पुरे शहर में घोषणा करवा दी की राज्य के सभी युवक राजमहल में आएं, राजा उनकी एक परीक्षा लेंगे । जो भी युवक सबसे ज्यादा योग्य पाया जायेगा, उसे राज्य का कार्यभार सँभालने के लिए चुन लिया जायेगा । अगले दिन शहर के बहुत से युवक राजमहल में पहुँच गए । राजा ने उन सभी को एक एक थैली में बीज दिए और कहा की इन बीजों को अपने घर में जाकर बो दो ।  १५ दिन तक इनमे से पौधे निकल आएंगे । तब उन पौधों को लेकर राजमहल आना । उनकी वृद्धि देख कर यह फैसला किया जायेगा की राज्य का उत्तराधिकारी कौन बनेगा । सभी युवक बीज लेकर चले गए और अपने अपने घर में जा कर बीज बो दिए । सभी युवको के बीज में से पौधे निकलने लगे थे पर एक युवक के बीजो में से अंकुर तक न फूटा था । बाकी लोगो के पौधे तेज़ी से बढ़ते देख वो दुःखी हो गया । फिर भी वो आखरी दिन वह अपने उसी गमले को लेकर राजमहल चला गया, जिसमे एक पौधा तो क्या, एक पत्ती तक नहीं थी । राजा ने सबके हरे भरे गमले देखे और उसका खाली गमला भी देखा । और उसी वक़्त राजा ने घोषणा कर दी की राज्य का उत्तराधिकारी वही युवक है जिसका खाली गमला है । दरअसल राजा ने परीक्षा ईमानदारी की ली थी क्योकि बीज सब जले हुए थे जिनसे कभी भी कुछ भी उग ही नहीं सकता था ।

जीवन मंत्र - जीवन में ईमानदारी बरतने से सदैव परिणाम अच्छे ही मिलेंगे और अप्रत्यक्ष लाभ भी । 

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