एक बार की बात है, एक व्यक्ति का बेटा बुरी संगत में फंस गया । अपने पिता के लाख बार मना करने पर भी वह उन्ही लोगो के साथ घूमता रहता और कहता कि किसी के साथ उठने-बैठने से कोई बिगड़ नहीं जाता है । एक दिन उसके पिता ने उसे समझाने के लिए रास्ता निकाला । वे बाजार से टमाटर खरीद कर ले आए । इन टमाटरों के साथ वे एक सड़ा-गाला टमाटर भी लेकर आ गये । उन्होंने उन टमाटरों के दो थैले बनाये । अपने बेटे को बुला कर कहा कि इन दोनों थैलो को अलग अलग जगह रख कर आओ । बेटे को कुछ समझ नहीं आये पर जैसा उनके पिता ने कहा उनसे वैसा ही किया । तभी उन्होंने अलग से लाया हुआ सड़ा गला हुआ टमाटर निकाला और कहा की बाकि के टमाटर तो सही है यही बस थोड़ा गाला हुआ है में इसे भी इसी एक थैले में रख देता हूं । अगले दिन पिता ने बेटे से थैले लाने को कहा । बेटा जब दोनों थैले लाने लगा तो एक थैला आराम से ले आया पर जब दूसरा थैला लाने लगा तो उसे थैला उठाते हुए ही उसे बदबू आने लगी । उसने देखा की सड़े टमाटर वाले थैले के बाकि टमाटर भी सड़ना शुरू हो गए थे । फिर पिता ने उसे प्यार से समझाया और कहा - "जिस तरह एक सड़ा हुआ टमाटर बाकियो को भी सड़ा देता है, ठीक उसी तरह से बुरी संगत भी अच्छे बच्चों को बिगाड़ देती है ।"
जीवन मंत्र - संगत का गहरा असर पड़ता है, इसलिए सदैव अच्छी संगत में रहे |
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