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Friday, 17 February 2017

ना हो बुरी आदतें


एक बार की बात है एक नदी में एक रीछ बहता हुआ जा रहा था । वह ज़िंदा था और पास में ही एक साधु स्नान कर रहा था । साधु ने जब बहते हुए रीछ की कमर देखी तो उसे लगा की वह एक कम्बल है । कम्बल का लालच करके साधु उसे निकालने के लिए तैरकर नदी के बीचों-बीच पहुँच गया । उसने रीछ को पकड़ा और घर ले जाने के लिए उसे किनारे की ओर खीचने लगा । मगर रीछ तो ज़िंदा था, तो उसने साधु को कसकर पकड़ लिया ताकि नदी के प्रवाह से बाहर निकला जा सके । दोनों एक दूसरे से पाने की बीच में ही उलझने लगे । किनारे पैर एक दूसरा साधु था । उसने साधु को पाने में हाथ पैर मरते देखा तो वही से चिल्लाया, 'कम्बल हाथ नहीं आ रहा तो उसे छोड़ दो । वापस आ जाओ ।' यह सुनकर साधु ने एकदम निराश मन से उसे जवाब दिया, में तो कम्बल छोड़ने की पूरी कोशिश कर रह हु लेकिन इसने मुझे ऐसा जकड लिया है की इससे छूटने का कोई विकल्प ही नहीं मिल रहा ।'  ठीक यही हालात इंसान की तब होती है जब वह ख़राब आदतों का शिकार हो जाता है । उसके साथ उसका पूरा परिवार और समाज भी किसी न किसी रूप में कष्ट झेलता है । लेकिन फिर वह व्यक्ति कितनी भी कोशिश करे, पुरानी और बुरी आदते उसका पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं लेती । इसलिए बुरी आदतों से सदैव दूर रहना चाहिए ।

जीवन मंत्र - बुरी आदतों से सदैव दुरी बनाये रखे |

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