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Sunday, 5 February 2017

किसान का जूता


एक बार की बात है, कुछ बच्चे खेतों से हो कर गुजर रहे थे । रस्ते में उन्हें खेतों पर काम कर रहे किसान के जूतें एक पेड़ के नीचे पड़े  मिले । किसान वहां से काफी दूर काम कर रहा था, इसलिए वह बच्चों को अपने जूतों से छेड़ छाड़ करते देख नहीं पाया । मौका देख कर बच्चों को शरारत सूझी । एक बोला इन जूतों में कंकर भर देते है । जब किसान आकर इसे पहनेगा तो उसके पैर में चुभेंगे , और उसे समझ भी नहीं आएगा कि जूतों में कंकर भर कौन गया ? यह देखने में मजा आएगा । सभी दोस्त हाँ में हां मिलाने लगे पर उन्ही में से एक लड़का था राम वह बोला नहीं, इससे उसके पाँव जख्मी हो सकते है । हम एक काम करते है । हम उनके जूतों में कुछ सिक्के डाल देते है । तब देखेंगे की उनके चेहरे पर कैसी खुश आती है ? राम की सलाह पे बाकि के सब बच्चे भी राजी हो गए और सब ने आपस में मिल कर पैसे निकले और जूतों में डाल दिए । राम अपने सभी दोस्तों के साथ एक पेड़ के पीछे जाकर छिप गया । जब किसान आया और जुते पहनने लगा तो उसे कुछ महसूस हुआ । जब उसने देखा की जूतों में पैसे रखे है तो हैरान हो गया । उसने कई बार जोर जोर से आवाजे भी लगाई "अरे भाई ! यह पैसे किसके है?" कोई भी जवाब न आने पैर उसने आसमान की ओर देखा और कहा, शुक्रिया ईश्वर । आपने मेरा इंतजाम कर दिया । अब में अपने बच्चों को आराम से खाना खिला पाउँगा । किसान के चेहरे पर चमक देख कर सभी बच्चे बहुत खुश हुए और राम की सराहना की ।

जीवन मंत्र - मजाक ऐसा करे जिससे किसी को नुक्सान न पहुँचे |

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