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Sunday, 26 February 2017

माँ का त्याग


एक बार की बात है, एक बच्चा था मोहित । उसकी माँ एक आँख से कानी थी । जैसे जैसे बच्चा बड़ा होता गया, उसे अपनी माँ की इस शक्ल-सूरत पर थोड़ी शर्मिंदगी सी महसूस होने लगी । वह अपनी माँ को अपने स्कूल आने से मना करता था क्योंकि स्कूल के बच्चे मोहित की माँ लो लेकर उसका मजाक उड़ाते थे । और बड़ा होने पर मोहित किसी भी जगह सार्वजनिक तौर पर अपनी माँ के साथ जाने से बचने लगा । एक बार उसकी माँ किसी काम से उसके कॉलेज के पास गई तो वहां मोहित ने उसे देख लिया और घर आते ही अपनी माँ को बहुत डांटने लगा । गुस्से में अपना आपा खो चूका मोहित बोला - कितनी बार कहा है, जहा में होता हूँ, वहां आसपास मत आया करो । तुम्हारी वजह से मुझे सुनना पड़ता है । तुम्हारी इस एक आँख की वजह से लोग मुझे ताने मारते है । अब माँ से रहा न गया । उसकी आँखों से आंसू गिरने लगे । वह बोली - बेटा, मेरी हमेशा से दो ही आँखे थी और मुझे उन दोनों से दिखता था । बचपन में एक दुर्घटना हो गई थी, जिसके कारण तुम्हारी एक आँख ख़राब हो गई थी और तुम उससे बिलकुल देख नहीं पा रहे थे । तब डॉक्टर ने कहा था कि कोई तुम्हे एक आँख दे दे तो तुम फिर से देख सकोगे । तब मैंने तुम्हे अपनी आँख ये सोच कर दी थी, कि में तो दुनिया देख चुकी, यह तुम्हे दे देती हूँ, नहीं तो कल को लोग तुम्हे एक आँख वाला कह कर चिढ़ाएंगे । यह कह कर माँ अपने काम में व्यस्त हो गई । मोहित अपने शब्दो पर बेहत शर्मिंदा था और उस दिन के बाद से उसने अपनी माँ को दुःख नहीं दिया ।

जीवन मंत्र - माता पिता का सदैव आदर सम्मान करे । 

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