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Friday, 17 February 2017

पेन्सिल की सीख


एक बार की बात है, रोहन ने अपनी माँ को कुछ लिखते हुए देखा, तो बोला, 'माँ, आप पेंसिल से क्यों लिख रही हो?' माँ बोली, 'बेटा, मुझे पेंसिल से लिखना पसंद है । इसकी बहुत खुबियां है |' रोहन चौका और बोला, 'दिखने में तो ये और पेंसिलों की तरह ही है । लिखने के अलावा इसकी और क्या खासियत है ?' माँ बोली - 'यह जीवन से जुडी कई अहम सीखे हमें देती है । इसके ५ गुण अगर तुम अपना लो, तो संसार में शांतिपूर्वक रह सकोगे ।
पहला गुण- तुम्हारे अंदर बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल करने की योग्यता है लेकिन तुम्हे सही दिखा निर्देशन चाहिए । ये दिशा निर्देश वह ईश्वर देगा और हमेशा अछि राह पर चलाएगा ।
दूसरा गुण- बेटा, लिखते लिखते बिच में रुकना पड़ता है । पेन्सिल की नोंक को पैना करना पड़ता है । इससे इसे कष्ट होता है लेकिन यह एच लिख पाती है । इसलिए अपने दुःख, हार को धैर्य से सहन करो ।
तीसरा गुण- पेन्सिल गलतियां सुधारने के लिए रबड़ के प्रयोग की इजाजत देती है । इसलिए कोई गलती को तो उसे सुधार लो ।
 चौथा गुण- पेन्सिल में महत्व बाहरी लकड़ी का नहीं, अंदर के ग्रेफाइट का है । इसलिए अपने बाहरी रूप से ज्यादा गौर अपने अंदर चल रहे विचारों पर करें ।
पांचवा गुण- पेन्सिल हमेशा निशान छोड़ जाती है । तुम भी अपने कामों से अच्छे निशान छोड़ो ।'

जीवन मंत्र - छोटी सी चीज़ भी जीवन में बड़ी सीख दे जाती है  । 

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