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Tuesday, 20 June 2017

रूप बड़ा की गुण


एक बार की बात है, एक राजा के चार पुत्र थे | इनमे से तीन राजकुमार तो बेहद सूंदर थे लेकिन चौथा उतना ही कुरूप था | तीनो सूंदर राजकुमार रूपवान तो बहुत थे, लेकिन गुणों के मामले में बिल्कुल शून्य | वही चौथा राजकुमार बेहद गुणी था | तीनो राजकुमार और राजा खुद भी बात-बात पर चौथे राजकुमार का अपमान करते रहते | उसे इस व्यव्हार से दुःख पहुँचता था लेकिन वह कुछ कह नहीं पता था | लेकिन एक बार वह निश्चय करके राजा के पास पंहुचा और बोला - पिताजी क्या गुण का कोई मोल नहीं? क्या रूप ही सब कुछ होता है? राजा ने अपने ही पुत्र पर व्यंग करते हुआ कहा - जिसमे रूप ही नहीं, उसमे भला गुण कहा से आएगा? इसके बाद वह राजकुमार राज्य छोड़कर वन में चला गया | कई वर्ष बीत गए | एक दिन वह धनुष-बाण का अभ्यास कर रहा था तो उसने तीन लोगो को देखा जो फटे कपड़ो में थे और जमीन से उठा कर फल खा रहे थे | वह इस तीनो राजकुमारों को देख कर बोला - मेरे भाइयों, यह सब क्या हुआ? तब उन्होंने बताया की छोटे भाई तुम्हारे राज्य छोड़ कर चले जाने के बाद पडोसी राजा ने हमला बोल दिया था | हम तीनो राजकुमार भाग निकले और राजा को भी मार दिया | क्योकि तीनो के पास कोई गुण नहीं था दाने दाने के लिए तरसने लगे| तीनो भाई बोले - तुम हमें माफ़ कर दो | चौथे राजकुमार ने अपनी सेना लेकर शत्रु राजा पर हमला बोल दिया और राज्य वापस लिया | अब इसी भाई की सूझ बुझ से राज्य चलाया जाने लगा |

जीवन मंत्र - रूप से कई ज्यादा महत्व व्यक्ति के गुणों का होता है | गुणी व्यक्ति सदैव स्वाभिमान से जीता है |

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