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Sunday, 7 May 2017

भगवान की गोद


एक बार की बात है, एक आदमी भगवान का बड़ा भक्त था | बड़े प्रेम भाव के साथ उनकी भक्ति किया करता था |  एक दिन भगवान से कहने लगा - में आपकी इतनी भक्ति करता हूँ, पर आज तक मुझे आपकी अनुभूति नहीं हुई | में चाहता हूँ कि आप भले ही साक्षात् दर्शन न दे, परन्तु कुछ ऐसा करे कि मुझे आपके साथ होने का अनुभव तो हो | भगवान ने कहा ठीक है | तुम रोज सुबहे समुंद्र किनारे सैर पर जाते हो न | कल से रोज रेत पर तुम्हे तुम्हारे पैरों के अलावा दो पैरों के निशान और मिलेंगे | वे निशान मेरे होंगे | इस तरह तुम्हे रोज मेरी अनुभूति होगी | अब वह जब भी  सैर पर जाता तो अपने पैरों के निशान के साथ दो और पैरों के निशान देख बहुत खुश होता | एक बार उसे व्यापार में बहुत घाटा हुआ, भारी नुकसान की वजह से सब कुछ बिक गया और वह सड़क पर आ गया | उसके सभी परिचित ने उससे मुँह मोड़ लिया | कंगाल हो जाने के बाद जब वह सैर करने गया तो उसे रेत पर भी सिर्फ दो ही पैरों के निशान दिखे | उसे बहुत दुःख हुआ कि भगवान ने भी उसका साथ छोड़ दिया | धीरे धीरे उसकी आर्थिक हालत सुधरी तो लोग तो लौटे, साथ ही रेत पर दो निशान भी लौट आये | अब वह भगवन से नाराज होकर बोला - आपने भी मुसीबत में साथ छोड़ दिया था ? रेत पर सिर्फ दो निशान होते थे | तब भगवान बोले - में ऐसा कैसे कर सकता हूँ ? तब तुम इतना टूट गए थे कि चलने लायक भी नहीं थे | मैंने तुम्हे अपनी गोद में ले लिया था | वे निशान मेरे ही पैरों के थे | अब तुम फिर समर्थ हो तो मैंने तुम्हे नीचे उतार दिया है |

जीवन मंत्र - खुद को कभी अकेला न समझे, फिर मुसीबत से उबरने की हिम्मत आ जाएगी |

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