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Saturday, 25 March 2017

चार मोमबत्तियां


एक बार की बात है, 4 मोमबत्तिया अँधेरे में जल रही थी । अचानक ही वे एक दूसरे से अपने दिल की बात करने लगे । पहली  मोमबती बोली, "में शांति हूँ । लेकिन हर तरफ मची भागदौड़ और आपाधापी को देख कर लगता है कि किसी को मेरी जरुरत ही नहीं है । में यहाँ और नहीं रह सकती ।" यह कहते ही वह बुझ गई । दूसरी मोमबत्ती बोली - "में विश्वास हूं लेकिन हर ओर  फैले झूठ-फरेब को देख कर लगता है कि मेरी किसी को जरुरत नहीं है । में भी यहाँ नहीं रहना चाहती |" यह कह कर दूसरी मोमबत्ती भी बुझ गई । अब तीसरी मोमबत्ती भी बड़े दुःख के साथ बोली - " में प्रेम हूँ । में हमेशा जलती रह सकती हूँ लेकिन मेरे लिए किसी के पास समय ही नहीं रह गया । मेरे यहाँ रहने का कोई तात्पर्य नहीं ।" और ये कह कर तीसरी मोमबत्ती भी बुझ गई । तभी एक छोटा बच्चा कमरे में आया तो रुँआसा हो कर बोला - "तुम तीनो मोमबत्तियां बुझ क्यों गई ?" तब चौथी मोमबत्ती बोली, "रोओ मत बच्चे, में आशा हूँ| में जल रही हूं । जब तक में हूँ तब तक हम दूसरी मोमबत्तियों को दुबारा जला सकते है |" बच्चे की आँखों में चमक आ गई और उसने आशा से प्रेम, विश्वास  और शांति को फिर से जला दिया ।

जीवन मंत्र - अगर आप आशावान है तो जीवन में सब संभव है । 

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